कमाल है भाई अब क्या सपनों पर भी प्रतिबन्ध लगाने जा रहे हो। इस पर भी सेंसरशिप चलाओगे क्या। हॉं! तो ! क्यों नहीं लगवा सकते क्या। अरे ठीक है, ठीक है। वो तो बडी बिन्दिया लगाने वाली बहनजी नहीं है वरना उन पर तो हमारे प्रेमी लखनउ वाले कविराजजी का वरदहस्त था। वो किसी पर भी सेंसरशिप लगा सकती थी। बोलने पर भी। देखा नहीं देश की राजमाता की राजनीति पर प्रतिबन्ध लगाने बेल्लारी गई और खिसियाकर वापस आई।
यूपी चुनाव में उन राम रथ यात्रा निकालने वालों पर कैसे उन गरजते, सिंह सा0 ने सेंसरशिप लगाई कि खुद अब मुँह छिपाते फिर रहे हैं। यात्रा वाले तो इतनी यात्रा निकाल चुके हैं कि जनता ने आजिज आकर उनकी पार्टी की यात्रा ऐसी निकाली कि बोली ही नहीं निकल रही है।
देखा नहीं हॉंक रहे थे, कि बहुमत लायेंगे और मन्दिर वहीं बनायेंगे। बन गया ना मन्दिर और किसी का बने ना बने उन कविराजजी का जरूर बनवा देंगे ओर कहेंगे अब विश्राम करो बहुत हो गई राजनीति हमें भी करने दो। हमने जो 7 रेसकोर्स में जाने का सपना देख रखा है उसका क्या होगा। अब ठीक है, 10 जनपथ पर राजमाता का पुश्तैनी कब्जा है तो है, कभी ना कभी जरूर हटवा देंगे। पर जब तक वो इसमें है, तभी तक अपनी खैर मनालो वरना जिस दिन जनता ने सोच लिया। सूचना के अधिकार में सब पुराना हिसाब किताब मॉंग कर चुकारा कर देगी।
वो तो हमने पहले ही राजस्थानी को ठिकाने लगा कर महामहिम बनाने का पैंतरा चल दिया वरना वो तो अल्प बहुमत की सरकार को भी पॉंच वर्ष तक आसानी से चलाने वाले धुरन्धर राजनीतिज्ञ हैं और सब राजनीतिक दलों से मिलजुल कर रहते हैं। अपने उन दा की तरह नहीं है, जो भगवा के नाम से ही बिदकते हैं। भले ही वो भगवा देश के झण्डे में हो। उनका बस चले तो उसे भी लाल रंग का करवा देवें। पर बंगाल से बाहर उत्तर पश्चिम चलता नहीं है, इसलिये बेबस हैं।
ना ही वो राजस्थानी, यूपी वाले नौसिखिया सिंह है जो अपने ही प्रदेश की लुटिया डुबती मजे से देखते रहें और प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के ‘मनोनीत’ राष्ट्रीय अध्यक्ष बने रहें।
भई ठीक है ये क्यों नहीं मानते कि इतने प्रदेशों में हमारी पार्टी की सरकारें हैं। आखिर वो भी तो हमारी मेहनत का ही नतीजा है ना। दूसरी पार्टी वालों को शासन ठीक से चलाना नहीं आया और जनता ने हमें मौका दिया ये क्या कम बात है। हमने ही तो कई सारे झूठे वादे कर जनता को बरगलाया था कि हम गरीबी मिटा देंगे। अब ठीक है यूपी वालों को वो हाथी वाली बरगलाने में कामयाब हो गई है। पर देखना एक ना एक दिन हम जरूर जंग जीतेंगे। हम हार नहीं मानेंगे। हार नहीं मानेंगे, रार नहीं ठानेंगे। तब तक चुप नहीं बैठेंगें जब तक 120 करोड जनता को राम के नाम से बरगालने में कामयाब नहीं हो जाते। आखिर केन्द्र में सत्ता नहीं मिलेगी तो राम को उनका ठिकाना कैसे मिल पायेगा। जब तक हमें 7 रेसकोर्स में ठिकाना नहीं मिल जाता, हम राम को ठिकाने पर नहीं लगायेंगे।
नीरज कुमार शर्मा, लाल बाजार, नाथद्वारा (राज0)
2 comments:
स्वागत है इस बेहतरीन पोस्ट के साथ. लिखते रहें.
स्वागत है आपका चिट्ठाजगत में, उम्मीद है निरंतर लिखते रहेंगे।
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