जनाब ! आप क्या सोचते हैं, सिर्फ पुरूषों को ही राष्ट्रपति भवन की सिढियाँ चढने का अधिकार है।, महिलाओं को नहीं । मैं भी राष्ट्रपति भवन की सिढियाँ चढूँगी। ये बात अलग है कि जिस राजपूती मर्यादा की दुहाई मैं देती हूँ, उसी राजपूती शान के सिरमौर महाराणा प्रताप की जयन्ती के अवसर पर मैं उदयपुर की मोती मगरी की सिढियॉं नहीं चढ पाई और उन्हें 'दूर' से ही सलाम कर दिया। पर आपको ये मानना ही होगा कि देश का बंटाधार (माफ करियेगा जबान फिसल गई) बेडापार तभी होगा जब राष्ट्रपति भवन से देश के न्यायालयों को अपरोक्ष संकेत दे दूँगी कि बस अब बस भी करो। कम से कम राष्ट्र *पति*, (महामहिम, महामहिमा या महामुहिमा या पता नहीं इस देश के जले भुने विपक्षी नेता मुझे किस नाम से पुकारे, वैसे राज की बात ये है कि मैं खुद कन्फ्यूज्ड हूँ। हॉं भाई कन्फ्यूज्ड हूँ, ही कहा है मैंने क्या करूँ उमर का असर है, होता ही है, मान लिया करो, छोटी छोटी बातों पर ध्यान मत दिया करो।) को तो अदालतों के चक्कर से बख्शों, आखिर ये पति हैं।
देखो एक बात और बताती हूँ, मैंने सपने मैं भी नहीं सोचा था कि मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया जायेगा। सच कहूँ तो मैं तो राष्ट्रपति शब्द से शरमा रही हूँ, मैं तो राजपूती खानदान और उँचे कुल की बहु हूँ । पति शब्द थोडा कम समझ में आ रहा है। खैर दूसरी बात ये की मूझे देश्ा की राष्ट्रीय पुरूषवादी राजनीति करने से कभी मतलब नहीं रहा। तभी तो मैंने *उनकी* कसम खाई है। कि उनके खिलाफ विदेशी मूल का मुद्दा कभी उठने नहीं दूँगी। उन केयरटेकर ने जो राजगादी के लिये जो भूमिका तैयार की है, उस पर अपनी मोहर लगाकर उनका राजतिलक कर दूँगी। अरे चुपचाप सुन एवं समझ लो, मैं यह कोई नया काम या नई परम्परा नहीं डाल रही हूँ, ज्ञानी जी भी ऐसा कर गये हैं। मैं तो बस उसी परम्परा का निर्वहन करूँगी। आप मानों या ना मानों मुझे उनका आशीर्वाद मिल गया है। मुझे आपसे ज्यादा उनकी फिकर है, मैं हर हाल में राष्ट्रपति भवन की सिढियॉं चढूँगीफ मैंने आपसे पहले ही बाय बाय कह दिया है, आप तो अपनी खीज निकालोगे ही। निकालो निकालो, निकालते रहो। मुझे क्या, हो सके तो उन लोगों को भी पार्टी से निकालो जो मुझ पर आरोप लगा रहें हैं।
ठीक है मेरे पति पर मुकदमा चल रहा है, ये भी ठीक है कि मुझ पर दूसरे कई आरोप लग रहें हैं पर क्या मैं कभी जेल गई क्या मुझ पर कभी कोर्ट में कोई आरोप सिद्ध हुआ, नहीं ना। तो फिर क्यों चिल्ल पौं मचा रखी है।
मुझे तो उस बुढे शेर का भी आशीर्वाद मिल गया है। मैं तो जाउँगी, जाउँगी और जाउँगी। राष्ट्रपति बनूँगी। फिर देखना देश का क्या (बे) हाल करती हूँ। फतवे भी जारी कर सकती हूँ, हॉं पता है नहीं कर सकती पर करवा तो सकती हूँख् ना। भाई मेरी मदद के लिये वो केयरटेकर हैं ना।
कभी घूँघट प्रथा पर, तो कभी सती प्रथा पर भी कर सकती हूँ। तो कभी कोऑपरेटिव में भाई भतीजावाद फैलाने और ऋणों को मुफ्त बँटवाने के लिए भी। मुझे लडाई झगडों से सक्ष्त एलर्जी है। मैं मिसाईलों में विश्वास नहीं करती। मुझे विश्वास है उनमें जिन्होंने मुझमें विश्वास जताया है।
देखो एक बात और बताती हूँ, मैंने सपने मैं भी नहीं सोचा था कि मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया जायेगा। सच कहूँ तो मैं तो राष्ट्रपति शब्द से शरमा रही हूँ, मैं तो राजपूती खानदान और उँचे कुल की बहु हूँ । पति शब्द थोडा कम समझ में आ रहा है। खैर दूसरी बात ये की मूझे देश्ा की राष्ट्रीय पुरूषवादी राजनीति करने से कभी मतलब नहीं रहा। तभी तो मैंने *उनकी* कसम खाई है। कि उनके खिलाफ विदेशी मूल का मुद्दा कभी उठने नहीं दूँगी। उन केयरटेकर ने जो राजगादी के लिये जो भूमिका तैयार की है, उस पर अपनी मोहर लगाकर उनका राजतिलक कर दूँगी। अरे चुपचाप सुन एवं समझ लो, मैं यह कोई नया काम या नई परम्परा नहीं डाल रही हूँ, ज्ञानी जी भी ऐसा कर गये हैं। मैं तो बस उसी परम्परा का निर्वहन करूँगी। आप मानों या ना मानों मुझे उनका आशीर्वाद मिल गया है। मुझे आपसे ज्यादा उनकी फिकर है, मैं हर हाल में राष्ट्रपति भवन की सिढियॉं चढूँगीफ मैंने आपसे पहले ही बाय बाय कह दिया है, आप तो अपनी खीज निकालोगे ही। निकालो निकालो, निकालते रहो। मुझे क्या, हो सके तो उन लोगों को भी पार्टी से निकालो जो मुझ पर आरोप लगा रहें हैं।
ठीक है मेरे पति पर मुकदमा चल रहा है, ये भी ठीक है कि मुझ पर दूसरे कई आरोप लग रहें हैं पर क्या मैं कभी जेल गई क्या मुझ पर कभी कोर्ट में कोई आरोप सिद्ध हुआ, नहीं ना। तो फिर क्यों चिल्ल पौं मचा रखी है।
मुझे तो उस बुढे शेर का भी आशीर्वाद मिल गया है। मैं तो जाउँगी, जाउँगी और जाउँगी। राष्ट्रपति बनूँगी। फिर देखना देश का क्या (बे) हाल करती हूँ। फतवे भी जारी कर सकती हूँ, हॉं पता है नहीं कर सकती पर करवा तो सकती हूँख् ना। भाई मेरी मदद के लिये वो केयरटेकर हैं ना।
कभी घूँघट प्रथा पर, तो कभी सती प्रथा पर भी कर सकती हूँ। तो कभी कोऑपरेटिव में भाई भतीजावाद फैलाने और ऋणों को मुफ्त बँटवाने के लिए भी। मुझे लडाई झगडों से सक्ष्त एलर्जी है। मैं मिसाईलों में विश्वास नहीं करती। मुझे विश्वास है उनमें जिन्होंने मुझमें विश्वास जताया है।
"वादा निभाउँगी............... राष्ट्रपति भवन जाउँगी"
भाई आरोप ही तो हैं। आरोप लगाते रहो । जॉंच होगी, और होती रहेगी, होती रहेगी, होती रहेगी। आडवाणीजी पर नहीं लगे हैं क्या, अब मैं उनका नाम नहीं ले सकती, वरना उन पर भी तो आरोप लगे हुए हैं, उनका कभी कुछ हुआ है क्या। फिर भी देखों वो आराम से परदे के पीछे से राजमाता बन कर राज चला रही है ना ओर कैसे हम सब उनका सम्मान करते हैं। आप क्यों नहीं कर सकते। अटलजी का ही करके देख लो। फिलहाल तो उनका करों जिन्हें आपने निर्दलीय खडा किया हुआ है। और कहो कि रोक सको तो रोक लो मुझे या फिर अपने शुभचिन्तकों को जो सिर्फ आरोप लगाना जानते हैं पर कोर्ट में सिद्ध नहीं करा पाते, याचिका दायर करने पर मात खा जाते हैं।
चलो बाय बाय। जीत की पार्टी के वक्त इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की और ताकना। और मुँह लपलपाना कि काश हमे भी पार्टी में जाने का मौका मिलता भॅरोसिंह जी बाबोसा होते तो।
भाई आरोप ही तो हैं। आरोप लगाते रहो । जॉंच होगी, और होती रहेगी, होती रहेगी, होती रहेगी। आडवाणीजी पर नहीं लगे हैं क्या, अब मैं उनका नाम नहीं ले सकती, वरना उन पर भी तो आरोप लगे हुए हैं, उनका कभी कुछ हुआ है क्या। फिर भी देखों वो आराम से परदे के पीछे से राजमाता बन कर राज चला रही है ना ओर कैसे हम सब उनका सम्मान करते हैं। आप क्यों नहीं कर सकते। अटलजी का ही करके देख लो। फिलहाल तो उनका करों जिन्हें आपने निर्दलीय खडा किया हुआ है। और कहो कि रोक सको तो रोक लो मुझे या फिर अपने शुभचिन्तकों को जो सिर्फ आरोप लगाना जानते हैं पर कोर्ट में सिद्ध नहीं करा पाते, याचिका दायर करने पर मात खा जाते हैं।
चलो बाय बाय। जीत की पार्टी के वक्त इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन की और ताकना। और मुँह लपलपाना कि काश हमे भी पार्टी में जाने का मौका मिलता भॅरोसिंह जी बाबोसा होते तो।